ग्रहण: ठंड पर भरी पड़ी आस्था, गंगा स्नान को उमड़े श्रद्धालु...
वाराणसी। उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच शिव नगरी काशी भी शीतलहर की चपेट में है। कोहरे और धुंध की चादर भी बिछी हुई है। बाबजूद इसके आस्था ठंड पर भारी पड़ गया। वर्ष 2019 के आखिरी सूर्यग्रहण में श्रद्धालु गंगा स्नान को उमड़े रहे। अस्सी से लेकर राजघाट तक जहा लोगों को सहूलियत समझ आई वह वही डुबकी लगाता रहा। बाहर से भी श्रद्धालुओं का तांता गंगा स्नान को पहुंचता रहा, तीर्थ पुरोहितों से टीका लगवाकर दान-पुण्य का काम हुआ।
सुबह चार बजे से ही स्नानार्थियों के घाट आने का क्रम शुरु हो गया था। बड़ी तादात में श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर गंगा तट पर पूजा अर्चना किए। तीर्थपुरोहितों के मुताबिक सूर्य ग्रहण के मौके पर संगम स्नान का विशेष महत्व है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। जिसके बाद मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान लोगों को अन्न-जल नहीं ग्रहण करना चाहिए और न ही देव मूर्तियों को ही स्पर्श करना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध और रोगी के लिए यह निषेध नहीं है। ग्रहण के आरंभ से पूर्व और मोक्ष के बाद गंगा, संगम स्नान करके दान देने का विधान है।