क्रिसमस डे की तैयरियाँ पुरी, जुबली ईयर में विशेष हैं तैयरियाँ
ईसा मसीह के जन्मदिन पर पर्यावरण संरक्षण का देंगे सन्देश, दिव्यांगों, युवाओं और महिलाओं के लिए भी होगा आयोजन
वाराणसी। सात वार नौ त्योहार वाली काशी अब क्रिसमस डे मनाने के लिए तैयार है। नागरिकता कानून को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच अब गिरजाघरों में करोल गीतों की धुनें बजने के लिए तैयार है । इसके साथ ही नवजात शिशु ईसा मसीह के जन्म की झांकी, चर्च व घरों में सजावट की जा चुकी हैं। अब इंतजार है प्रभु यीशु के दर्शन का। इस बात की जानकारी वाराणसी के धर्मप्रान्त व लाल चर्च के विशप यूजीन जोसेफ ने एक पत्रकारवार्ता के दौरान दी। उन्होंने सभी को क्रिसमस की बाधाई देते हुए कहा कि वैसे तो क्रिसमस 25 दिसम्बर को मनाया जाता है लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या यानी 24 दिसम्बर की रात्रि से ही सम्पूर्ण ईसाई समुदाय गिरजाघर में प्रभु यशी की स्तुति आराधना के लिए एकत्र होंगे। विशप ने बताया कि प्रभु यीशु ने 24 दिसम्बर की मध्य रात्रि में मानव रूप धारण किया था। इसलिए मध्य रात्रि में ही उनके आगमन के समय पूजा-विधि सम्पन्न की जाती है और विशेष महिमा गान के साथ गिरजाघरों का घण्टा बजाया जाता है। इसके बाद लोग एक दूसरे को बधाई के साथ केक बांटकर क्रिसमस की खुशी मानते हैं।
विशप यूजीन ने बताया कि प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी कंटोनमेंट स्थित सेंट मेरिज महागिरजाघर में 25, 26 व 27 को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जायेगा। क्रिसमस समारोह का समापन आगामी 2 जनवरी 2020 को सेंट जॉन्स स्कूल डीएलडब्ल्यू में विकलांग दिवस के साथ किया जाएगा। जिसमें दिव्यांग बच्चों द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की जाएगी। इसके साथ ही खेलकूद प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी जिसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार व 4 हजार दिव्यांगों को स्कॉलरशिप भी वितरित किया जाएगा।
नो प्लास्टिक का दिया जाएगा सन्देश
इस वर्ष समारोह में विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 1 लाख से ज्यादा लोगों के कपड़े के बैग बांटकर नो प्लास्टिक का संदेश दिया जाएगा। विशप यूजीन ने बताया कि इससे पूर्व भी विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से वह पूर्वांचल में 2 लाख पेड़ लगवा चुके हैं।