वर्ष में चार दिन ही मिलता है मां के इस रूप का दर्शन
मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन की तैयारी पूरी
वाराणसी।अठन्नी आमतौर पर आप जिसका हिसाब भी नहीं करते ओर अब यह तो चलन से भी बाहर है। मगर यही अठन्नी माता अन्नपूर्णा के स्वर्ण खजाने के रूप में इतनी मूल्यवान हो जाती है की इसकी चाहत देश के कोने-कोने से भक्तों को काशी खींच लाती है। मां का खजाना पाने को उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से तो लोग आते ही हैं लेकिन सर्वाधिक भीड़ दक्षिण भारत के दर्शनार्थियों की होती है। आलम यह होता है कि मंदिर से एक किलोमीटर दूर तक भक्तों की कतार लगती है।
अन्नपूर्णा का यह मंदिर देश का इकलौता है जहां धनतेरस पर्व से अन्नकूट तक माँ के इस रूप में दर्शन मिलता है।मंदिर से मिले सिक्के और धान के लावा को लोग तिजोरी और पूजा स्थल पर रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे वर्ष धन और अन्न की कमी नहीं होती। यह मंदिर वर्ष में एक बार ही 4 दिनों के लिए खुलता है। जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। इस वर्ष मन्दिर में अस्थायी सीढ़ी बनाई गई है जिसके सहारे भक्त प्रथम तल स्थित माँ का दर्शन कर दूसरे तरफ से सीढ़ी के रास्ता राम मंदिर से बाहर होंगे।
महन्त रामेश्वरपुरी ने बताया कि मां अन्नपूर्णा हैं अन्न की अधिष्ठात्री हैम स्कन्दपुराण के 'काशीखण्ड' में उल्लेख है कि भगवान विश्वेश्वर गृहस्थ हैं और भवानी उनकी गृहस्थी चलाती हैं। इसलिए काशीवासियों के योग-क्षेम का भार इन्हीं पर है। 'ब्रह्मवैवर्त्तपुराण' के काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं। सामान्य दिनों में अन्नपूर्णा माता की आठ परिक्रमा की जाती है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी के निमित्त व्रत रह कर उनकी उपासना का विधान है।
25 अक्तूबर धनतेरस के अवसर पर मां का षोडशोपचार पूजन व भव्य मंगला आरती के बाद आम जन का दर्शन शुरू होगा ।भक्तों में वितरित होने वाले खजाने का भी विधि-विधान से पूजन होगा। इसके बाद मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। भोग आरती के लिए दोपहर 12:00 से 12. 30 बजे तक मंदिर बंद रहेगा। इसके बाद रात 11 बजे तक दर्शन जारी रहेगा।
विशिष्ट जन शाम 5 से 7 बजे तक कर सकेंगे मां के दर्शन
इस बार भक्तो की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन व मन्दिर प्रबंधन ने विशिष्ट जनों के लिये एक समय दिया गया है।
भक्तो को मंदिर दर्शन में किसी तरह समस्या न हो इसके लिए अनावश्यक धक्का मुक्की न करने की सभी से अपील की गई है।
दिव्यांग व बुजुर्गों के लिए विशेष व्यवस्था
मंदिर में आने वाले दिव्यांग या बुजुर्गो के लिये मंदिर प्रबंधन ने सहायक के तौर पर कुछ गाइड भी लगाए हैं। जो दिव्यांग या बुजुर्गो को सीढ़ी के रास्ते सीधे दर्शन करवा कर निकास द्वार से बाहर पहुंचाएंगे।
वहीं सुरक्षा की दृष्टि सेलगभग दो दर्जन कैमरे परिसर में लगाये गये है । जिसे मंदिर के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है । कैमरे के नजर में लोग रहेंगे एक आपरेटर की तैनाती रहेगी जो कि हर गतिविधियों पर ध्यान रखेगा।