Data Reveals City Air 5 times Poisonous than the Acceptable Limit!

चिंताजनक: दीपावली पर वाराणसी की आबोहवा हुई पांच गुना अधिक जहरीली



वायु गुणवत्ता ने ग्रीन पटाखों के दावें को किया झूठा साबित, पी एम 2.5 पहुंचा तीन गुना से अधिक...



वाराणसी। ग्रीन पटाखें के नाम किए गए सभी दावे झूठे साबित हो गए है। दनादन दागे गए पटाखों से शहर की आबोहवा 5 गुना ज्यादा घातक हो गई है। यह चौकाने वाला रिपोर्ट क्लाइमेट एजेंडा की ओर से जारी किया गया है। शहर के 18 विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीनें लगाकर दिवाली की अगली सुबह 3 बजे से 8 बजे तक एकत्र किये गए आंकड़ों के आधार पर यह पता चलता है कि इस बार भी शहर का वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से 5 गुना अधिक पाया गया। हवा में कार्बन कणों की भयानक रूप से मौजूदगी ने बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और मरीजों के लिए श्वांस का संकट पैदा किया, जबकि शहर की आबोहवा में पी एम 2.5 की मात्रा सामान्य से तीन गुना अधिक रही।



संस्था द्वारा तैयार रिपोर्ट के हवाले से मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “इन आकड़ों के आधार पर महमूरगंज क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित पाया गया, जहां पी एम 10 की मात्रा 529 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही जो कि सामान्य से 5 गुणा अधिक है, विशेश्वरगंज क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा जहां पीएम 10 का स्तर 492 रहा, नदेसर का राजा बाजार क्षेत्र तीसरे स्थान पर रहा जहां पीएम 10 का स्तर 481 रहा। जबकि जांचे गए सभी क्षेत्रों में तुलनात्मक तौर पर चौक क्षेत्र सबसे कम प्रदूषित मिला जहां पी एम 10 की मात्रा 267 यूनिट रही।


एकता ने बताया माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और प्रशासन के बड़े-बड़े दावों के बीच एक बार फिर दिवाली की रात और अगली सुबह शहर के आम जन जीवन के लिए घातक साबित हुई। पटाखों आदि के असर पर नियंत्रण करने की कवायद में हम एक बार फिर असफल साबित हुए हैं, और ग्रीन पटाखों के नाम पर हुई देर रात तक की आतिशबाजी ने शहर की आबोहवा में जहर घोलने का काम किया है। स्मॉग की वजह से शहर के आसमान में एक काली परत देखी गयी, और हवा में ऑक्सीजन का संतुलन बेहद खतरनाक मात्रा में बिगड़ गया। इस रिपोर्ट में प्राप्त आंकड़े यह बताते हैं कि पीएम 10 कण ही प्रमुख रूप से प्रदूषण के जिम्मेदार बने। इसका अर्थ यह हुआ कि दिवाली के दौरान होने वाली आतिशबाजियों के साथ साथ शहर की खस्ताहाल सडके भी जहरीली आबोहवा के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार हैं।


अत्यंत बेपरवाह और खस्ता हाल में चल रही शहर की आबोहवा की निगरानी के बारे में एकता शेखर ने कहा “ स्वयं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के आधार पर यह स्पष्ट है कि अर्दली बाजार इलाके में लगी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मशीन से अधिकतम 5 किलोमीटर के दायरे में ही हवा की गुणवत्ता की निगरानी संभव है। इसका अर्थ यह हुआ कि बोर्ड द्वारा चल रही निगरानी से प्राप्त आंकड़े शहर के एक हिस्से के आंकड़े ही हैं, और इससे पुरे शहर की आबोहवा के प्रतिनिधि आंकड़े नहीं प्राप्त होते हैं। ऐसी स्थिति में, बोर्ड के द्वारा शहर के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में कम से काम 5 और मशीने लगा कर वायु गुणवता के आंकड़े लेने का काम करना चाहिए। जब तक यह नहीं किया जाएगा, तब तक प्रदूषण के खिलाफ मुक्काम जीत संभव नहीं हो पायेगी।